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लेखनी कहानी -29-Sep-2023 फॉर्म हाउस

फॉर्म हाउस  भाग 5

सेशन कोर्ट खचाखच भरा हुआ था । जिले का सबसे बड़ा कोर्ट होता है जिला एवं सेशन कोर्ट । हत्या के मामले यहीं आते हैं । आज राज मल्होत्रा हत्या केस की सुनवाई थी यहां । आरोपी पक्ष की गवाही लगभग पूरी हो चुकी थी । सरकारी वकील ने अपने पक्ष के सभी गवाहों के बयान दर्ज करा दिये थे । उन गवाहों से जिरह नहीं की गई थी । जिरह कौन करता ? रिषिता की ओर से कोई वकील खड़ा ही नहीं हुआ था । हारे हुए केस को कौन लड़ना चाहता है ?

हीरेन ने कोर्ट में उपस्थित होकर रिषिता का वकालतनामा पेश किया तो जज साहिबा ने अपना चश्मा दो बार ऊपर नीचे करके हीरेन को देखा ।  "आप इस केस में आरोपित के वकील बन रहे हैं मिस्टर हीरेन" ? जज अनिला तिवारी ने आश्चर्य से पूछा  "जी मैम" हीरेन ने बड़ी शालीनता और आत्म विश्वास से कहा  "क्या आपको पता है कि आप एक हारा हुआ केस लड़ने जा रहे हैं ? आपका ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि आपने एक भी केस नहीं हारा है आज तक । तो क्या आप अपना यह रिकॉर्ड अब तोड़ देंगे" ? जज अनिला तिवारी की बातों में दम था ।

"मेरा विश्वास है कि मैं अपना ट्रैक रिकॉर्ड कायम रखूंगा । एक निर्दोष को जेल से बाहर निकलवा कर ही दम लूंगा" । हीरेन की आंखों में चमक और होठों पर मुस्कान थी ।  "क्या आपके पास कोई ठोस सबूत हैं या आप सिर्फ अंधेरे में तीर छोड़ रहे हैं" ?  "आप मेरी शुभचिंतक हैं, यह जानकर मुझे अच्छा लगा मैम । इसके लिए आपका हार्दिक अभिनंदन । रही बात इस केस की तो आप यकीन मानिए कि मेरा ट्रैक रिकॉर्ड आगे भी बना रहेगा । बस , मुझे फाइल पढने के लिए थोड़ा सा समय चाहिए" । हीरेन मुस्कुराते हुए बोला । हीरेन की मुस्कुराहट में गजब की कशिश थी । वह सामने वाले का दिल जीत लेती थी ।  "ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड ! इस केस में पहले ही बहुत विलंब हो चुका है । राज की हत्या को एक साल से भी ज्यादा का समय हो गया है । आज यह केस बहस में लगा है । इतने समय के बाद ये जासूस महोदय इस केस में 'अवतरित' हुए हैं तो इन्हें आज ही बहस में भाग लेना चाहिए । अब तारीख पे तारीख का रिवाज खत्म होना चाहिए मैम" । सरकारी वकील के बजाय लीना मल्होत्रा ने कहा ।  "ओह ! आप भी इस केस में वकील हैं, ये मुझे पता नहीं था । आप बार एसोसिएशन की सीनियर एडवोकेट हैं , इसलिए मैं आपकी इज्ज़त करता हूं । आपके पति की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हुई है इसलिए मेरी आपसे पूरी हमदर्दी है । लेकिन एक व्यक्ति को बिना उसका पक्ष सुने सजा दे देना क्या न्यायोचित है ? और मैं कोई लंबी तारीख नहीं ले रहा हूं मैम , केवल सात दिन की तारीख ले रहा हूं । केस की स्टडी करने के लिए इतना समय तो देना ही चाहिए ना । तीन दिन तो फाइल की नकल लेने में ही लग जायेंगे । उसके पश्चात तीन चार दिन उस फाइल को पढ़कर जिरह के पॉइंट बनाने को चाहिए, बस । क्यों ठीक है ना मी लॉर्ड" ?  इससे पहले कि लीना कुछ बोलती , जज साहिबा ने सात दिन की तारीख दे दी ।  "ऑबलाइज्ड माई लॉर्डशिप" । अदालत को सम्मान देते हुए हीरेन ने अपने असिस्टेंट विवेक से कहा  "फाइल की नकल के लिए दरख्वास्त लगा देना अभी और जितनी जल्दी नकल मिले उतनी जल्दी नकल निकलवा लेना । मैं एक बार रिषिता से मिलने जा रहा हूं । उससे घटना वाले दिन की एक एक मिनट की जानकारी लेकर आगे की रूपरेखा तैयार करूंगा । समझ गये ना" ?  "यस सर" ।  हीरेन फिर से रिषिता से मिलने जेल चला गया ।

दो दिन के बाद फाइल की नकल मिल गई और हीरेन उसमें डूब गया । राज मल्होत्रा ने अपने केयर टेकर वीरेन्द्र को शराब लेने के लिए रात को बारह बजे भेजा था । जब वह वापस आया और उसने राज मल्होत्रा की लाश देखी तो उसने तुरंत लीना मलहोत्रा को फोन किया । तब लगभग चार बज रहे थे । उसे शराब लाने में चार घंटे लगे । हीरेन ने विवेक से कहा  "वीरेन्द्र किस रूट से शराब लेने गया था , इसकी जांच करो । फॉर्म हाउस से शराब की दुकान तक जाने वाले सभी रास्तों के सीसीटीवी खंगाल लो । उनमें समय भी रिकॉर्ड होता है । इसका पता लगाओ कि वह शराब की दुकान पर कब पहुंचा और कब वहां से वापस रवाना हुआ ? वीरेन्द्र के मोबाइल की कॉल डिटेल्स निकलवा लो कि उसने उस रात क्या किसी से बात की थी ? उसके बाद भी क्या उसने किसी और से भी बात की थी ? फॉर्म हाउस के सारे फोटोग्राफ्स चैक करो और जिस घर से पैसा बरामद हुआ है उस घर की लोकेशन भी लेकर आ जाओ । इसके बाद अपना काम आगे बढेगा । कल ये काम कंप्लीट करके रिपोर्ट करना" । हीरेन आवश्यक हिदायतें देकर मीना के संग "द वैक्सीन वार" मूवी देखने चला गया ।  "द वैक्सीन वार ही क्यों ? कोई रोमांटिक मूवी क्यों नहीं" ? मीना थोड़ी अपसेट होती हुई बोली  "आजकल रोमांस के नाम पर सेक्स परोसा जाता है फिल्मों में । और वो एकता कपूर तो "वल्गर" फिल्में बनाने के लिए कुख्यात है । बाकी भी कोई कम नहीं हैं । अश्लील डायलॉग, फूहड़ दृश्य, बेवजह अंग प्रदर्शन । बस यही रह गया है फिल्मों में आजकल । "द वैक्सीन वार" उन वैज्ञानिकों के साहस , प्रतिबद्धता और त्याग की पराकाष्ठा को दिखाने वाली फिल्म है जिन्होंने इस देश के करोड़ों लोगों की जान बचाई है । वह भी अपनी जान की परवाह किये बगैर । अपने परिवार से अलग रहकर । जब सब लोग अपने बचाव की फिक्र कर रहे थे तब ये वैज्ञानिक दो दो मोर्चों पर लड़ रहे थे । एक तो कोरोना से और दूसरा विदेशी वैक्सीन के विदेशी और भारतीय दलालों से । विदेशी दलालों से लडना बहुत आसान होता है पर भारतीय दलालों से लडना बहुत मुश्किल काम था । और ये दलाल कोई और नहीं इसी देश के विरोधी दलों के नेता और पत्रकार थे जो कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन को सब स्टैंडर्ड और बीजेपी की वैक्सीन घोषित कर जनता को गुमराह कर रहे थे और "फाइजर" कंपनी के दलाल बनकर उसकी घटिया वैक्सीन की वकालत कर रहे थे । इस फिल्म में इस पूरी लड़ाई को बड़ी शिद्दत के साथ दिखाया गया है । उस दहशत के माहौल में कोरोना की वैक्सीन बनाना किसी "वार" से कम नहीं था । इसीलिए इस फिल्म का नाम "द वैक्सीन वार" रखा गया है । तुम देखोगी तो पता चलेगा" । हीरेन ने मीना की बांह पकड़कर उसे अपने बगल की सीट पर बैठाते हुए कहा । दोनों जने फिल्म देखने में व्यस्त हो गये ।

शेष अगले भाग में  श्री हरि  3.10.23

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2 Comments

hema mohril

11-Oct-2023 09:32 PM

V nice

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Punam verma

03-Oct-2023 08:28 AM

Very nice

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